बीमार शेर और चतुर लोमड़ी की कहानी | Bimar Sher Aur Chatur Lomdi Ki Kahani | The Story Of The Sick Lion And The Clever Fox
बीमार शेर और चतुर लोमड़ी की कहानी | Bimar Sher Aur Chatur Lomdi Ki Kahani | The Story Of The Sick Lion And The Clever Fox
तो बच्चों आज मैं आपको बीमार शेर और चतुर लोमड़ी की कहानी | Bimar Sher Aur Chatur Lomdi Ki Kahani | The Story Of The Sick Lion And The Clever Fox कहानी बताऊंगा
बीमार शेर और चतुर लोमड़ी की कहानी | Bimar Sher Aur Chatur Lomdi Ki Kahani | The Story Of The Sick Lion And The Clever Fox
बीमार शेर और चतुर लोमड़ी की कहानी - Bimar Sher Aur Chatur Lomdi Ki Kahani - The Story Of The Sick Lion And The Clever Fox :- बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में एक शेर रहता थाा | पर वह शेर बूढ़ा हो चला थाा | उसकी शक्ति क्षीण हो गई थी उसने इतना बल शेष नहीं था की जंगल में जाकर शिकार कर सके इस स्थिती में उसके समक्ष भूखे मरने की नौबत आ गई थीा | एक दिन अपनी गुफा में बैठा शेर सोचने लगाा |
शेर : यही हालत रहे तो मेरी मौत तय हैा | मुझे कोई ना कोई उपाय सोचना होगाा | ताकि बैठे बिठाई ही भोजन की व्यवस्था हो जाएा
ये सोचने लगा और कुछ ही देर में उसे एक उपाय सूझ गयाा | एक कौए की मदद से उसने पूरे जंगल में अपने बीमार होने की खबर फैला दीा | जंगल के राजा शेर के बीमार होने की खबर सुनकर जंगल के जानवर उसका हालचाल पूछने उसके पास पहुंचने लगेा | शेर इसी ताक में था जैसे ही कोई जानवर उससे मिलनेा | गुफा में प्रवेश करताा | तो उसे दबोचकर मार डालता और छक कर उसका मांस खाताा | हर दिन कोई ना कोई जानवर उसे देखने आता रहता और शेर कोा | ही शिकार हाथ लग जाता उसके दिन बड़े आराम से गुज़रने लगेा | अब उसे बहुजन के लिए जंगल में भटकने की आवश्यकता नहीं रह गई थी बिना मेहनत के उसे अपने ही गुफा में भरपेट भोजन मिलने लगा था किसी दिनों में वहा | मोटा हो गयाा | एक सुबहा | एक लोमड़ी उसे देखने आईा | लोमड़ी चालक थी वह गुफा के अंदर नहीं गई बल्कि गुफा के द्वार पर खड़ी हो गयी वहीं से उसने शेर से पूछाा |
लोमड़ी : महाराज आपकी तबियत कैसी है क्या बाप अच्छा महसूस कर रहे हैं
शेर : कौन हो मित्रा | अंदर तो आओा | मैं बीमार बूढ़ा शेर बाहर तक तुमसे मिलने नहीं आ सकताा | मेरी दृष्टि भी कमजोर है मैं तुम्हें यहाँ से ठीक से देख भी नहीं सकता आओा | मेरे पास आओ मुझसे आखिरी बार मिल लो ना कुछ ही दिनों का मेहमान हूँ
शहर में फुसलाकर लूणी को भाग्य अंदर बुला ने का प्रयत्न कियाा | शेर के बोलते समया | लोमड़ी बड़े ही ध्यान से गुफा के आसपास का नजारा ले रही थीा | शेर की बात खत्म होते ही वह बोलीा |
लोमड़ी : महाराज मुझे क्षमा करें मैं अंदर नहीं आ सकती आपकी गुफा में अंदर जाते हुए जानवरों के पैरों के निशान तो हैा | किंतु बाहर आते हुए नहीं हैं | इसका अर्थ में समझ गयी हूँ | सब कुछ जानते हुए भीा | यदि मैं अंदर आ गई तो उन जानवरों की तरह मैं भी मारी जाउंगी जिनके पैरों के ये निशान है | इसलिएा | मैं तो जा रही हूँ
लोमड़ी में जंगल में जाकर बूढ़े शेर की करतूत सभी जानवरों को बता दी उसके बाद कोई भी जानवर शेर से मिलने नहीं गयाा | इस तरह अपनी बुद्धिमानी सेा | लोमड़ी ने न सिर्फ अपनी जान बचाई बल्कि जंगल के अन्य जानवरों को भी शेर के हाथों | मरने से बचा लियाा | इस कहानी से हमें यह समझा | आता है कि हमेशा अपने दिमाग से काम लेना चाहिएा
Comments
Post a Comment